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शशि पद, मंगल यान है, उत्सुक बहुत विज्ञान |
बन हमसाया रह रहा , आज मगर अनजान ||
रहन सलीके उच्च पर , होती नीयत नीच |
दूरी वसुधा जो घटी , बसी मनों के बीच ||
भाव तिरोहित हो रहे, अरु संस्कार विहीन |
सामाजिक सरोकार न, मानव बना मशीन ||
स्नेह संबंधों मध्य न , यंत्रों से अति प्यार |
क्षण प्रतिक्षण बदल रहा, मानव का व्यवहार ||
संस्कारों पर पाँव धर , बढ़ा अगर विज्ञान |
मनुज सभ्यता पतन तय, कोई नहीं निधान ||
very true deval ji
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तहे दिल से शुक्रिया साहब
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